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खुशियों की दास्तां त्रिलोक अब बेफिक्र होकर अपने काम पर जाते हैं

 



ग्वालियर 23 फरवरी 2021

 त्रिलोक अपनी थोड़ी सी जमीन पर खेती और मेहनत-मजदूरी कर परिवार का गुजारा चलाते हैं। रोज सुबह काम पर निकलते और सांझ ढले घर लौटते। जब भी तेज आँधी के साथ बरसात होती तो उनका काम में बिल्कुल भी मन नहीं लगता। इसकी वजह थी टूटा-फूटा झोंपड़ीनुमा घर । उन्हें इस बात की चिंता लगी रहती कि बरसात में कहीं घर गिर न जाए। त्रिलोक सोचा करते कि काश पक्का घर होता तो बच्चों की ओर से निश्चिंत होकर काम में अपना मन लगा पाते । मगर पक्का घर बने तो कैसे। मजदूरी में जो मिलता वह परिवार के भरण-पोषण पर खर्च हो जाता। पर अब उनका पक्का घर बन गया है। 

ग्वालियर जिले के विकासखण्ड घाटीगाँव के ग्राम कांसेर निवासी श्री त्रिलोक सिंह गुर्जर दिन-रात बस एक ही जुगत में रहते कि कैसे भी पक्का घर बन जाए। पर तमाम कोशिशों के बाद उनका यह सपना साकार नहीं हो पा रहा था। उन्होंने बचत भी की पर इतना धन नहीं जुटा पाए जिससे छोटा ही सही पर पक्का घर बना सकें। ऐसे में प्रधानमंत्री ग्रामीण अवास योजना उनके लिये वरदान बनकर सामने आई। 

त्रिलोक एक दिन घूरे पर घर का कचरा फेंकने जा रहे थे तभी गाँव के कुछ लोगों ने उन्हें बताया कि त्रिलोक तुम्हारे लिये पक्का घर मंजूर हो गया है। यह सुनकर उन्हें एक बारगी भरोसा ही नहीं हुआ। मगर किस्मत त्रिलोक का दरवाजा खटखटा चुकी थी। ग्राम पंचायत के सचिव ने त्रिलोक को भरोसा दिलाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत सरकार ने आपके लिये आवास स्वीकृत किया है। यह सुनकर त्रिलोक तो खुशी से झूम उठे और खेत पर जाना भूल गए। वे सीधे दुकान पर गए और रवा व शक्कर लेकर घर पहुँचे। अपनी धर्मपत्नी नैनाबाई को यह सब देते हुए कहा जल्दी से हलवा बनाओ बड़ी जोर से भूख लग रही है। नैना बाई बोलीं आज आपको क्या हो गया है जो खुशी से इतने चहक रहे हो। तब उन्होंने कहा कि जल्द ही अपना भी पक्का घर होगा। 

पक्के मकान बनने की बात सुनकर नैनाबाई की खुशी दुगुनी हो गई। पहली खुशी पक्के मकान की तो दूसरी प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत नि:शुल्क रसोई गैस चूल्हा व कनेक्शन मिलने की। जब त्रिलोक और नैनाबाई का पक्का घर बनकर तैयार हुआ तो वे खुशी से फूली नहीं समाईं। सरकार ने मुफ्त बिजली कनेक्शन भी उन्हें दिया। पक्के घर की रसोई में बैठकर जब नैनाबाई ने गैस चूल्हे पर बकरी का दूध गर्म करने के लिये चढ़ाया तो खुशी से आँखे छलक आईं। अब तक बरसात में चूल्हा फूँक-फूँककर उन्होंने खूब आँसू बहाए थे। रसोई गैस घर में आई तो बुरे दिन हवा हो गए। उनके नाती-पोते अब लालटेन की रोशनी में नहीं बिजली की रोशनी में पढ़ाई करते हैं। 

प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना से झोंपड़ी के स्थान पर त्रिलोक और नैनाबाई ने अपने सपनों का घर बनाया है। घर बनाने के लिए सरकार से लगभग एक लाख 20 हजार रूपए की मदद मिली है। अपने घर में बेलदारी का काम त्रिलोक ने खुद किया, जिसके लिये उन्हें मजदूरी भी मिली। चाहे तेज आँधी हो या फिर तेज बारिश अब त्रिलोक चिंता किए बगैर अपने काम पर जाते हैं। 



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