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रेतीली और बंजर जमीन पर महिलाओं ने खिलाए खुशियों के फूल

 खुशियों की दास्तां 

(अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष) 




ग्वालियर 08 मार्च 2021

जिस रेतीली और बंजर जमीन पर कभी कटीली वनस्पतियाँ भी नहीं उगती थीं, वह जमीन महिलाओं के हाथों का कोमल स्पर्श पाकर खुशियों के फूलों से लहलहा रही है। महिलाओं ने साबित किया है कि वे केवल बच्चों का लालन-पालन ही नहीं पुरूषों के एकाधिकार वाले बागवानी जैसे काम अर्थात पेड़-पौधों की देखभाल भी बेहतर ढंग से कर सकतीं हैं। स्व-सहायता समूह में संगठित इन महिलाओं ने गाँव की रेतीली और अनुपजाऊ जमीन पर अपने जुनून और कड़ी मेहनत की बदौलत फलदार एवं छायादार प्रजातियों के सुंदर-सुंदर पौधों की बड़ी रोपणी (नर्सरी) खड़ी कर दी है। 



आत्मनिर्भर एवं सशक्त नारियों की यह सच्ची कहानी ग्वालियर जिले की जनपद पंचायत भितरवार के ग्राम निकोड़ी की है। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बने समाधि बाबा स्व-सहायता समूह से जुड़ी एक दर्जन महिलाओं ने अपने गाँव की पौने चार बीघा रेतीली और अनुपजाऊ जमीन पर डेढ़ लाख फलदार व छायादार पौधों की नर्सरी तैयार कर दी है। नर्सरी में तैयार पौधों को प्रदेश भर में कहीं भी बेचने के लिये उद्यानिकी विभाग में नर्सरी का पंजीयन भी समूह की दीदियों ने करा लिया है। इस नर्सरी से लगभग 10 से 12 लाख रूपए की सालाना आय संभावित है। नर्सरी में शीशम के 20 हजार पौधे, सहजन के 15 हजार, करंज के 12 हजार, आंवला, नींबू, अमलतास व जंगल जलेबी प्रत्येक के 5 – 5 हजार पौधे, गुलमोहर, अमरूद, सागौन व अर्जुन के 2 – 2 हजार, नीम व आम के एक – एक हजार व जामुन के 500 पौधे उपलब्ध हैं। 

ग्राम निकोड़ी में ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत वर्ष 2017 में समाधि बाबा स्व-सहायता समूह बना था। स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती ऊषा रावत बताती हैं कि एक दिन बैठक में समूह की दीदियों ने सुझाव दिया कि जिले में वृक्षारोपण के लिये बाहर से पौधे मंगाने पड़ते हैं, क्यों न हम सब अपने गाँव में एक नर्सरी तैयार करें। यह बात जब समूह की दीदियों ने अपने-अपने घर में बताई तो किसी ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया। पर समूह की दीदियों ने ठान लिया कि अब हम नर्सरी खड़ी करके ही दम लेंगे। ऊषा रावत बताती हैं कि नर्सरी निर्माण करने से पहले हम सबने ग्वालियर के कृषि विज्ञान केन्द्र से पौधों की देखभाल की बारीकियां सीखीं। जब हम सब प्रशिक्षित हो गए तब नर्सरी स्थापित करने के लिये जिला पंचायत से मदद मांगी। जल्द ही महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) से हमारे समूह की नर्सरी मंजूर हो गई। 

शुरूआत में समाधि बाबा स्व-सहायता समूह की दीदियों ने लगभग आधा बीघा जमीन पर पाँच हजार पौधे तैयार कर नर्सरी का काम शुरू किया, जिससे लगभग 25 हजार रूपए की आमदनी हुई। नर्सरी का काम आगे बढ़ाने के लिये समूह ने बैंक से चार बार में लगभग सवा चार लाख रूपए व ग्राम संगठन से 80 हजार रूपए का ऋण लिया। इस पैसे से दीदियों ने पौने चार बीघा में एक बड़ी नर्सरी स्थापित कर दी। समूह की नर्सरी के लिये मनरेगा से 50 लाख 34 हजार रूपए की राशि मंजूर हुई, जिससे नर्सरी की फैंसिंग सहित गार्ड रूम, शौचालय, शेडनेट हाउस, ओवरहेड वाटर टैंक इत्यादि काम कराए गए हैं। 

समूह से जुड़ीं दीदियां खुश होकर बताती हैं कि इस नर्सरी के पौधों की बिक्री से हो रही आमदनी के साथ-साथ हम सब महिलाओं को अब तक 95 – 95 मानव दिवस के बराबर रोजगार भी नर्सरी के जरिए मिल चुका है। साथ ही हमारी नर्सरी ने गांव के लोगों को भी रोजगार दिया है। नर्सरी से गाँव के 40 जरूरतमंद श्रमिकों को अब तक लगभग 90 – 90 दिवस का रोजगार मिल चुका है। गाँव में ही रोजगार मिलने से इन लोगों को काम की तलाश में बाहर नहीं जाना पड़ा। महिला सशक्तिकरण की यह दास्तां क्षेत्र की अन्य महिलाओं को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रही है। 


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