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3066 स्व-सहायता समूहों ने 35084 महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

 खुशियों की दास्तां 

समूह की मेहनत रंग लाई 




ग्वालियर 26 मार्च 2021/ मध्यप्रदेश शासन की आजीविका मिशन योजना उन जरूरतमंद लोगों के लिये वरदान साबित तो हुई ही है, साथ ही महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बनाया है। जो महिलायें घर-गृहस्थी चलाने के साथ मजदूरी करने को मजबूर थीं। ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे-छोटे कार्य कर अथवा मजदूरी का कार्य करने वाले लोगों के लिए मंहगाई के दौर में आजीविका चलाना कठिनाई भरा होता है। ऐसी स्थिति में घर की महिला भी अपने रोजमर्रा के कार्यों से हटकर कुछ आर्थिक अर्जन का कार्य प्रारंभ कर दें, तो निश्चित ही ऐसे परिवारों के लिए वह आर्थिक ताकत बन कर उभरती हैं। साथ ही परिवार की गाडी सुचारू रूप से चलाने में काफी मदद मिलती है। 


महिला स्व-सहायता समूह महिलाओं के सशक्तिरण की दिशा में अहम् भूमिका निभाकर उन्हें आर्थिक रूप से आत्म निर्भर भी बना रहे है। मिशन का मुख्य उद्देश्य गरीबी कम करने हेतुु जमीनी स्तर पर गरीब एवं अतिगरीब परिवारों को स्व-सहायता समूहों से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। इसके साथ-साथ महिलाओं, अत्यंत गरीब एवं वंचित वर्ग को योजना में प्राथमिकता के आधार पर सम्मिलित करते हुये एवं एक समयबद्ध तरीके से उन गरीब परिवारों की आजीविका संबंधी संसाधनों का सुद्धीकरण करते हुए उन्हे रोजगार व स्वरोजगार उपलब्ध कराना है। 


वर्तमान में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के द्वारा ग्वालियर में 412 ग्रामों में प्रवेश कर लिया गया है एवं 3066 समूह गठन के माध्यम से 35084 महिलाओं को समूहों से जोड़ लिया गया है। समूह में कम से कम 10 एवं अधिकतम 20 सदस्य होते हंै, जिनकी न्यूनतम 18 वर्ष हो एवं समूह के समस्त सदस्य अपने व्यक्तिगत, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक विकास के लिये संगठित होकर कार्य कर रहे है। प्रत्येक समूहों के सदस्य द्वारा आपसी बचत से समूह कोष का निर्माण किया गया है, सदस्यों द्वारा समूह कोष का उपयोग आवश्यकतानुसार लेन-देन में किया जा रहा है। समूहों द्वारा 13 सूत्रों का पालन किया जा रहा है। 

वर्तमान में जिला ग्वालियर के विभिन्न ग्रामों में आजीविका मिशन अंतर्गत गठित समूहों द्वारा लिये गये ऋण राशि के उपयोग से कई प्रकार की कृषि एवं गैर कृषि गतिविधियां की जा रही है। व्यवसायिक सब्जी उत्पादन के माध्यम से 532 परिवार जुड़े हुये है। इसी प्रकार मशरूम उत्पादन, जैविक खाद एवं कीटनाशक, मसाला उत्पादन, फूलों की खेती, उन्नत कृषि एवं नर्सरी विकास में लगभग 6500 परिवारों को जोड़ लिया गया हैं। इसी प्रकार गैर कृषि गतिविधियों के अंतर्गत सिलाई कार्य में 1000 से अधिक महिलाओं को जोड़ा गया है। इसी प्रकार सेनेट्री नेपकीन यूनिट, झाडू निर्माण, मोती माला निर्माण, कालीन बनाने का कार्य, वाॅश प्रोडक्ट (साबुन, हैण्डवॉश, वॉशिग पाउडर) दोना पत्तल, आचार, पापड एवं बड़ी निर्माण में भी लगभग 10000 से अधिक परिवारों को जोड़ लिया गया है। पशु पालन के क्षेत्र में भी 835 परिवारों को वेकयार्ड मुर्गी पालन से जोड़ा गया है। इसी प्रकार डेयरी, मछली पालन एवं बकरी पालन से भी 2000 से अधिक परिवारों को जोड लिया गया है। 

समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों के संग्रहण एवं विक्रय हेतु ऑनलाइन प्लेटफार्म का निर्माण किया गया है। समूहों द्वारा बनाये जा रहे उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने के लिये शहर के  प्रमुख क्षेत्रों में जैसे कलेक्ट्रेट, जिला पंचायत, संभागीय हाट बाजार, किला एवं गोल पहाड़िया पर रूरल मार्ट बनाया गया है। सर्व ग्वालियर के आॅनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से पीपीई किट, साबुन, सेनेटाइजर, मास्क एवं कोरोनाकाल के दौरान घर-घर सब्जी एवं ग्रोसरी पहुंचाने का कार्य किया गया। सर्व ग्वालियर के द्वारा 215 लाख रूपये का टर्नऑवर किया गया है।

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