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मानवता के पहरुओं ने हमें बचा लिया.....

 खुशियों की दास्ताँ



ग्वालियर 19 अप्रैल 2021/कोरोना महामारी पर फतह हासिल कर नया जीवन पाने वाले दिनेश और उनके परिजन बहुत खुश हैं। उनका कहना है संकट भरे दिनों में सरकारी चिकित्सकों और कर्मचारियों ने मानवता के पहरुए बनकर जिस आत्मीयता एवं सेवाभाव के साथ हमारी सेहत की चिंता की उसे हम शब्दों में बयां नहीं कर सकते।

 


ग्वालियर शहर की बस्ती दर्पण कॉलोनी निवासी श्री दिनेश सिंह बताते हैं कि पिछले 15 दिन हमारे परिवार के लिए बड़े मुश्किल भरे रहे हैं। पहले मेरी धर्मपत्नी श्रीमती उर्वशी को बुखार आया। डॉक्टर को दिखाया तो उसने 5 दिन की दवा दी पर कोई फायदा नहीं मिला। जब तीन दिन तक बुखार नहीं टूटा तो चिंता हुई औऱ हमने धर्मपत्नी को एक निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया। जाँच में पता चला उन्हें न्यूमोनिया है। पत्नी के इलाज के सिलसिले में हो रही भाग-दौड़ के बीच मुझे भी थकान और गले में खराश सी महसूस हुई। उधर दिल्ली से लौटकर आया मेरे इकलौते बेटे उदितांशु ने भी यही परेशानी बताई। मेरे मन में संदेह हुआ तो 12 अप्रैल को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ठाठीपुर में अपनी और अपने बेटे की कोरोना जाँच कराई।

दिनेश बताते हैं शाम को कोरोना कंट्रोल एवं कमांड सेंटर से फोन आया। दिनेश जी आप  और आपका बेटा कोरोना पोजीटिव्ह हैं। यह सुनकर मुझे एक बारगी ऐसा महसूस हुआ कि मानो मेरे पैरों तले की जमीन ही खिसक गई हैं। मेरी मनोस्थिति को फोन करने वाले सरकारी मुलाजिम ने समझ लिया और आत्मीयता पूर्वक मेरा हौसला बढ़ाते हुए कहा कि दिनेश जी आप जरा सी भी चिंता न करें,सरकार आपका पूरा इलाज कराएगी। थोड़ी देर बाद दूसरा फोन आया जो डॉक्टर साहब का था। उन्होंने मेरे एवं बेटे के ऑक्सीजन लेवल और अन्य लक्षणों के बारे में पूछा। साथ ही कहा यदि आपके पास ऑक्सीमीटर न हो तो भिजवाएं। सौभाग्य से हमारे पास ऑक्सीमीटर था उससे जाँच की तो हम दोनों का लेवल 97  के आसपास आया। डॉक्टर्स ने सलाह दी कि आप दोनों का इलाज होम आइसोलेशन में भी बेहतर ढंग से हो सकता है। यदि आप अभी अस्पताल में भर्ती होना चाहते हो तो हम उसमें भी आपकी मदद करेंगे। 

हमने होम आइसोलेशन में रहकर स्वास्थ्य लाभ लेने का निर्णय लिया। दूसरे दिन सुबह आशा कार्यकर्ता हमारे घर दवाओं की दो किट लेकर पहुँची। जिसमें हम दोनों के लिए पाँच-पाँच दिन की दवाओं का डोज था।थोड़ी देर बाद डॉक्टर ने फोन करके बताया कि दवाएँ कैसे-कैसे लेनी हैं। लगातार पाँच दिन तक दिन में दो बार हमारी सेहत का हाल-चाल जानने के लिए कमांड सेंटर से फोन आये। साथ ही मैंने भी जब मना किया तो मोबाइल फोन से वीडियो कॉलिंग के जरिए डॉक्टर साहब से सलाह ले ली। सरकार द्वारा कराए गए इलाज से हम बाप-बेटे पूरी तरह स्वस्थ हो गए हैं। पत्नी भी स्वस्थ होकर घर आ गईं है।

दिनेश कहते हैं कोरोना का नाम सुनकर जब अपने भी किनारा करके निकल जाने के लिए मजबूर हैं। ऐसी कठिन परिस्थिति में प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई व्यवस्था से मेरा जिस तरह से इलाज किया गया, उसकी जितनी भी तारीफ की जाए वह कम ही होगी। अब मुझे भरोसा हो गया है इस धरती पर भी डॉक्टर्स एवं सेवाभावी लोगों के रूप में ईश्वर विद्यमान है। 

 हितेन्द्र सिंह भदौरिया

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