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खुशियों की दास्तां चमेली बाई बोली घर बना तो बात बन गई

 खुशियों की दास्तां 



ग्वालियर 10 मार्च 2021

 चमेली बाई कहती हैं कि पक्का घर क्या बना हमारी तो सब बातें बन गईं। जबसे हम अपने नए घर में रहने आए हैं, तब से हमारा कोई काम नहीं रूका। जिस काम में भी हाथ डाला, उसमें सफलता ही हाथ लगी। 

ग्वालियर जिले की जनपद पंचायत मुरार के ग्राम बेरजा निवासी श्रीमती चमेली बाई अपनी सफलता की दास्तां सुनाते हुए भावुक हो जाती हैं। वे बताती हैं कि पक्के घर के लिये मेरे पति श्री हरीशंकर कुशवाह ने क्या-क्या जतन नहीं किए, पर सफल नहीं हो पाए। हमारी आधी जिंदगी तो झौंपड़ी में ही गुजर गई। चमेली बाई कहती हैं कि ग्राम पंचायत के सचिव श्री देवेश चतुर्वेदी ने जब मुझे बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आपका आवास मंजूर हो गया है, तो हम खुशी से झूम उठे। 

चमेली बाई एवं उनके पति हरीशंकर कुशवाह ने खेत पर अपने सपनों का घर बनाया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लगभग डेढ़ लाख रूपए की लागत से शौचालय सहित उनका पक्का घर बनकर तैयार हुआ है। मकान बनाने के समय बेलदारी का काम पति-पत्नी ने मिलकर किया। जिसके लिये उन्हें मनरेगा के तहत 18 हजार रूपए मजदूरी के रूप में मिले। चमेलीबाई खुश होकर कहती हैं कि सरकार ने हमें उज्ज्वला योजना के तहत नि:शुल्क रसोई गैस भी दी है। चमेलीबाई और हरीशंकर ने मिलकर अपने घर के बगीचे में आम, अमरूद व अन्य फलदार पौधे लगाए हैं जो पेड़ बनने की ओर अग्रसर हैं। 

हरीशंकर व चमेलीबाई का कहना है कि नए घर में आने के बाद हमने जमा पूँजी से एक भैंस खरीदी। उसका दूध बेचकर हमें अच्छी-खासी आमदनी हुई। चूँकि हमारा घर खेत पर था तो भैंस के लिये चारा पानी जुटाने की कोई समस्या नहीं थी। इसलिये हमने पहली भैंस से हुई आमदनी से दो और और भैंसे खरीद ली हैं। चमेली बाई बताती हैं कि अब लगभग 25 लीटर दूध हम रोज बेचते हैं। साथ ही परिवार के लिये भी दूध बच जाता है। 

चमेलीबाई राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बने स्व-सहायता समूह से भी जुड़ गईं हैं। वे कहती हैं समूह से जुड़ने के बाद हमारा मनोबल और बढ़ गया है। जल्द ही समूह से जुड़ीं महिलायें नई स्व-रोजगारमूलक गतिविधि शुरू करने जा रही हैं। 


हितेन्द्र सिंह भदौरिया

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