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ध्रुव का दर्शन करने के लिए आए थे भगवान - सुशील शास्त्री




डामरोंन कलां में श्रीमद भागवत  कथा का तृतीय दिवस

करैरा:-

करैरा के ग्राम डामरोंन कलां में श्रीमद भागवत कथा ज्ञान  स्व.श्याम विहारी श्रीवास्तव के पुत्र अरुण कुमार,अनिल कुमार,अरविन्द कुमार अवनेश कुमार,संजय, अवधेश श्रीवास्तव द्वारा सर्व जन हिताय सर्व जन सुखाय कराया जा रहा है।



तृतीय  दिवस में कथा सती चरित्र ध्रुव चरित्र बड़े ही रोचक ढंग से सुनाई  जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण परिवारी जन उपस्थित रहे ।

प्रसिद्ध कथा व्यास पं. श्री सुशील कुमार शास्त्री ने सती चरित्र,ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि जहां अपमान हो, आदर न हो तो ऐसी जगह पर बिना बुलाए नहीं जाना चाहिए। माता सती बिना बुलाए पिता के यज्ञ में गई। वहां पर माता सती को अपना और शंकर भगवान का अपमान सहन नहीं हुआ और योग अग्नि से अपने शरीर को जलाकर भस्म कर दिया। आचार्य जी  ने कहा कि भगवान को पाने के लिए अधिक उम्र का होना या धन का होना आवश्यक नहीं है। भक्त ध्रुव ने साढ़े पांच वर्ष की उम्र में ही भगवान को तपस्या कर के प्राप्त कर लिया था। भागवत में लिखा है कि भगवान ध्रुव को दर्शन देने नहीं, बल्कि ध्रुव का दर्शन करने के लिए आए थे ।

 आचार्य जी ने बताया की बुरे संग में होने के बाद भी अजामिल को भी  भगवान के नाम और संतों की कृपा से परम पद  प्राप्त हुआ । इसलिए मनुष्य को जीवन में हमेशा भगवान का सुमिरन करते रहना चाहिए, क्योंकि इस जीवन का  पता नहीं, कौन सा पल हमारे लिए आखिरी पल हो। जो व्यक्ति जैसा कर्म करता है, वह वैसा ही फल भोगता है। गज ग्राह की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि हमें कभी भी रुपये, यौवन, संपत्ति, शक्ति का अभिमान नहीं करना चाहिए। गज को अपनी ताकत पर अभिमान था, लेकिन संकट में उसकी ताकत और परिवार काम नहीं आया। अंत में हारकर उसने नारायण को पुकारा और नारायण ने उसकी रक्षा की। 

यह आयोजन 18 मार्च 2021 तक चलेगा जिसमें प्रतिदिन 1 बजे से शाम 6 बजे तक कथा होगी ।

आयोजक परिवार ने  अधिक संख्या में उपस्थित होने का आग्रह किया है.

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