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सामान्य तौर पर राजधानी या बड़े महानगरों में किसी पत्रकार पर कोई संकट आता है तो अनेक लोग मदद के लिए खड़े हो जाते हैं पर शिवपुरी जैसे बहुत छोटे शहरों में इस प्रकार की परंपरा कम होती है ।

 शिवपुरी:-


एक दौर था जब लोग मदद के लिए बहुत आगे आ जाते थे पर अब भौतिकता बाद  हावी है । हम  लोगों के अपने खर्चे अपनी परेशानियां भी कम नहीं है, कभी कभी चाहकर भी हम नहीं कर पाते हैं पर अपना शहर अभी भी अलग है । अनेक अवसरों पर मदद करता आया है । इसलिए मुझे लगा कि एक मौका है कि लोगों तक अपनी बात पहुंचा सकूं । हो सकता है लोग आगे बढ़ करके एक बड़ी भूमिका अदा कर दें और इससे आगे के लिए भी रास्ता खुलेगा ही ।एक ही प्लेटफार्म पर  समानांतर काम करने वाले लोगों में कभी-कभार ईर्ष्या भावना पनप जाता है विशेषकर राजनीतिक क्षेत्र में तो यह देखने को मिलना आम बात है मुझे डर है मेरे मन में आशंका है कि हो सकता है 1 या 2 लोगों को यह नागवार्  गुजरा होगा क्योंकि अपने शिवपुरी के मीडिया क्षेत्र से उतना पॉजिटिव रिस्पांस मुझे मिला नहीं है इस विषय पर । यह समाचार शहर के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में किसी कारणवश  भले न छप सका हो , पर यह मेरी चिंता का विषय नहीं है मेरी भावना केवल इतनी सी है कि दुख और तकलीफ के समय लोग मदद के लिए आगे आए  ।क्योंकि इस समय भावनाओं का  ज्वार् उमडता है । मेरे इस कदम से हो सकता है शहर के निवासियों का यह प्रेरणा मिले कि कोई भी पत्रकार मित्र यदि विपरीत हालातों से गुजर रहा है तो सक्षम लोगों को जरूर आगे आ करके उनकी मदद करनी चाहिए ।

मेरा तो संकल्प है कोई भी पत्रकार संकट मे होगा मैं जरूर प्रयास करूँगा कि उन महाशय के लिए कुछ कर सकू । आवाज़ उठा सकू ।

क्या करूँ मैं,

दिल से काम करता हूँ, 

थोड़ा भावुक भी हूँ ।

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