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मरने के लिए ही पैदा होते हैं भक्त

 ग्वालियर:- राकेश अचल 


तमिलनाडु के करूर में एक्टर विजय की रैली में शनिवार शाम को भगदड़ मच गई। मुख्यमंत्री स्टालिन के मुताबिक, हादसे में 39 लोगों की मौत हो गई। इनमें 16 महिलाएं और 10 बच्चे शामिल हैं। 51 लोग गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती हैं। मरने वालों की संख्या और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।

सवाल ये है कि ये हादसा अव्वल तो हुआ क्यों और अगर हुआ तो इस हादसे के लिए जिम्मेदार व्यक्ति के विरूद्ध पुलिस और सरकार ने क्या कानूनी कार्रवाई की?तमिलनाडु पुलिस के मुताबिक, विजय की रैली के लिए 10 हजार लोगों की परमिशन थी। लेकिन, 1 लाख 20 हजार वर्ग फीट के मैदान में 50 हजार से ज्यादा लोग जमा हो गए। इस दौरान एक्टर 6 घंटे की देरी से पहुंचे। विजय को बताया गया कि 9 साल की एक बच्ची गुम गई थी। उन्होंने मंच से उसे तलाशने की अपील की, जिसके बाद वहां भगदड़ के हालात बन गए।

इस नृशंस हादसे के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री  एमके स्टालिन ने रात को ही उच्च स्तरीय बैठक ली और देर रात को ही करूर पहुचें। स्टालिन ने हॉस्पिटल जाकर मृतकों को श्रद्धांजलि दी और घायलों से मुलाकात की है। केंद्रीय  गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से मामले को लेकर रिपोर्ट मांगी है। 

इस देश में व्यक्ति पूजक अंधभक्ति लगातार बढ रही है. नेहरु से नरेंद्र तक यही एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें कमी नहीं आई. व्यक्ति पूजा में दक्षिण ने तो उत्तर, पूरब और पश्चिम को भी पीछे छोड दिया. दक्षिण में फिल्मी सितारों ने अपनी लोकप्रियता को बेशर्मी के साथ राजनीति के लिए इस्तेमाल किया. एमजी रामचंद्रन  से लेकर विजय तक अंधभक्ति का ये सिलसिला जारी है. जय ललिता जैसी महिला अभिनेत्रियों ने इस मामले में पुलिस के एकाधिकार को चुनौती भी दी.

अंधभक्त ये नहीं समझते कि उसके जीवित ईश्वर से उसका कोई लगाव नही होता. विजय का भी अपने भक्तों से कोई लगाव नहीं है यदि लगाव होता तो विजय  घटना के बाद मृतकों के परिजनों से,घायलों से मिलता लेकिन वो तो  चार्टर्ड फ्लाइट से सीधे चेन्नई  भाग गया.

विजय में साहस ही नहीं है अपने भक्तों क क सामना करने का तभी तो उसने अपने एक्स खाते पर पर लिखा- मेरा दिल टूट गया है। मैं बहुत दर्द और दुःख महसूस कर रहा हूं। मैं करूर में जान गंवाने वालों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं और घायल लोगों के जल्दी ठीक होने की प्रार्थना करता हूं।

मुख्यमंत्री स्टालिन ने इस हादसे की जांच के लिए जस्टिस अरुणा जगदीसन की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया।स्टालिन ने मृतकों के परिवारों को 10‑10 लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की। वहीं, घायलों को 1 लाख रुपए दिए जाएंगे।लेकिन स्टालिन में इतनी हिम्मत नही कि वो विजय के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराएं, उसकी गिरफ्तारी कराएं.

भारतीय राजनीति में भक्तों की हैसियत ही कीडे मकोडों से ज्यादा कुछ होती नहीं है. लोग इसी तरह मरते रहते हैं और राजनीति अपने ढंग से आगे बढती रहती है. सब चोर चोर मौसेरे भाई हैं फिर चाहे वे नेता हों, अभिनेता हों, धर्मगुरू हों या और कोई. अपना काम बनता, भाड में जाए जनता. भगवान जाने ये सब ढोंग कब तक चलेगा? वैसे भी ये अकेला ऐसा देश है जहाँ कानून मुंह देखकर काम करता है. सोनम वांग्चुक के लिए अलग कानून और विजय के लिए अलग कानून. ये देश की सबसे बडी अदालत के, केंचुआ के लिए स्वतः संज्ञान लेने का मामला है. ऐसी रैलियों पर रोक लगना चाहिए. ये तकनीक का जमाना है फिर जनता को तकलीफ देने की क्या जरुरत है?

आपको बता दूं कि विजय ने फरवरी 2024 में तमिलनाडु वेट्री कडगम  (टीवीके) नामक अपनी राजनीतिक पार्टी की स्थापना की। उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी का उद्देश्य न तो भाजपा  के साथ है न ही वे डीएमके को समर्थन देंगे। उनकी पार्टी ने स्वयं को “इडियोलॉजिक” और “पॉलिटिकल” नेतृत्व के रूप में स्थापित किया, और कहा कि वे डीएमके व भाजपा दोनों से अलग-स्थापित विकल्प बनना चाहते हैं। 


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