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मुनिराजों से कमिश्नर, एडीएम व बीज निगम अध्यक्ष ने लिया मंगल आशीर्वाद

मुनिश्री के सानिध्य में कमिश्नर एडीएम ने किया पंचकल्याणक स्थल की वेदी शिलान्यास

पंचकल्याणक वेदी के शिलान्यास पर पहुँचे धर्मावलंबी।

ग्वालियर:-


फूलबाग मैदान में अयोध्या नगरी में 18 फरवरी से 24 फरवरी तक आयोजित होने जा रहे गोपाचल पर्वत के इतिहास में प्रथम बार श्री मज्जिनेंद्र पंचकल्याणक जिनबिम्ब प्रतिष्ठा महोत्सव की वेदी निर्माण का शिलान्यास परम पूज्य राष्ट्रसंत मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज ससंघ के मंगल सानिध्य में आज मंगलवार को शिलान्यास कार्यक्रम आयोजित किया गया।



आयोजन के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि वेदी निर्माण का शिलान्यास मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज, मुनिश्री विजयेश सागर, मुनिश्री विनिबोध सागर, व ऐलक श्री विनियोग सागर महाराज के सानिध्य व प्रतिष्ठाचार्य पंडित अजीत कुमार शास्त्री, पंडित चंद्रप्रकाश जैन सुनील भंडारी के निर्देशन में हुआ। कार्यक्रम शिलान्यास आयोजन स्थल पर कुशल पंडितों की उपस्तिथि में भूमि शुद्धि, देव आह्वान, शिला पूजन आदि विधि विधानपूर्वक प्रथम शिलान्यास मुख्य अतिथि नगर निगम कमिश्नर किशोर कन्याल, एडीएम एस, पी शर्मा व बीज निगम अध्यक्ष मुन्नलाल गोयल ने शिला स्थापित की। वही अतिथियो को सम्मानित आयोजन समिति के शिरोमणि संरक्षक डाॅ वीरेंद्र गंगवाल श्यामलाल विजवर्गी सरार्फ, मुख्य मार्गदर्शक अजीत वरैया, अध्यक्ष सिघई महेशचंद्र जैन गुरू, महामंत्री पवन जैन पत्रकार, राजेन्द्र जैन एडवोकेट, दिनेश जैन, संयोजक विनय कासलीवाल, अनिल जैन राजेश जैन लाला,कोषाध्यक्ष पंकज जैन वीरेंद्र जैन पदमचंद गार्ड, आदि ने मालाओं व तुपट्टे उड़ाकर सम्मानित किया। 



*भावनाओं की विशुद्धि संतों की शरण में निर्मल होती है-: मुनिश्री*



मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज ने कहा कि भावनाओं की विशुद्धि संतों की शरण में निर्मल होती है। हम सब अपने दुख दूर करने के लिए प्रभु एवं गुरु की शरण में रहें। प्रभु एवं गुरु की शरण में रहने से दुख एवं भय नहीं रहता है हम सब को निरोगी और सुखी रहने के लिए प्रभु एवं गुरु की शरण में रहना चाहिए। प्रभु राम भी गुरु एवं धर्म की शरण में रहे थे। श्रीलंका में विभीषण के महल की पहचान धर्म ध्वजा से हुई थी मंदिर के ऊपर लगा हुआ कलश एवं शिखर धर्म ध्वजा पुण्य वर्धनी होती है। हमें हमेशा परोपकार की भावना रखना चाहिए प्राणी मात्र के प्रति सद्भाव रखने से हजारों उपवास का फल मिलता है।

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